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lirik lagu ranj ki jab guftgu – pankaj udhas

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रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी

आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

मेरी रुस्वाई की नौबत आ गई
मेरी रुस्वाई की नौबत आ गई
उनकी शोहरत की क़ू-ब-कू़ होने लगी
उनकी शोहरत की क़ू-ब-कू़ होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

नाउम्मीदी बढ़ गई है इस क़दर
नाउम्मीदी बढ़ गई है इस क़दर
आरजू की आरजू होने लगी
आरजू की आरजू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

‘दाग़’ इतराए हुए फिरते हैं आप
‘दाग़’ इतराए हुए फिरते हैं आप
शायद उनकी आबरू होने लगी
शायद उनकी आबरू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
आप से तुम तुम से तू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
रंज की जब गुफ्तगू होने लगी

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