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lirik lagu kyu – akhil redhu

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[akhil redhu “kyu” के बोल]

[verse 1]
ढूंडे हो इश्क को तुम जिस्म में ही क्यों भला?
ज़िद समझते हो इसे, कभी समझते हो नशा
हक जाता रहे हो कैसे, पूछे बिन तुम हां या ना?
क्यों टूटे दिल की काँच पे, नाचते हैं सब यहाँ?
जानोगे तो समझोगे, ये जिस्म एक समंदर है
वो ढूंदते मोहब्बत, डूबे इसके अंदर हैं
के हाथ से खिलाओ इनको, हाथ ही ये काट लेंगे
खुद की गलतियों पे नाज़, हमसे ये जवाब लेंगे

[chorus]
साथ रहना चाहे कोई (क्यों?)
प्यार करने चाहे कोई (क्यों?)
जिस्म देखे, चेहरा देखे (हाँ)
आँखें क्यों पढ़े ना कोई? (क्यों?)
मर्ज़ बनना चाहे कोई (क्यों?)
ज़ख्म बनना चाहे कोई (क्यों?)
जिस्म देखे, चेहरा देखे (हाँ)
आँखें क्यों पढ़े ना कोई? (क्यों?)

[verse 2]
ये दौर ही है ऐसा, रिश्ता कपड़ों के जैसा
सब बदल रहे, बिछड़ रहे
शाम है कहीं पे, दिन कहीं गुज़र रहे
ये दौर ही है ऐसा, सबको चाहिए है पैसा
गोरे रंग पे ये मर रहे
जो साफ दिल का है वो तन्हा ही खड़ा कहीं
क्यूंकि बाजार में मोहब्बतें हैं बिक रही
यहाँ ज़रूरतों के ही हिसाब से है रिश्ते
जो चेहरा पाए उसके पीछे*पीछे चल दिए
[chorus]
साथ रहना चाहे कोई (क्यों?)
प्यार करने चाहे कोई (क्यों?)
जिस्म देखे, चेहरा देखे (हाँ)
आँखें क्यों पढ़े ना कोई? (क्यों?)
मर्ज़ बनना चाहे कोई (क्यों?)
ज़ख्म बनना चाहे कोई (क्यों?)
जिस्म देखे, चेहरा देखे (हाँ)
आँखें क्यों पढ़े ना कोई? (क्यों?)

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