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lirik lagu shauq – amit trivedi

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[chorus]
बिखरने का मुझको शौक़ है बड़ा
समेटेगा मुझको तू बता ज़रा
हाय, बिखरने का मुझको शौक़ है बड़ा
समेटेगा मुझको तू बता ज़रा

[verse 1]
डूबती है तुझमें आज मेरी कश्ती
गुफ़्तगू में उतरी बात
हो, डूबती है तुझमें आज मेरी कश्ती
गुफ़्तगू में उतरी बात की तरह

[verse 2]
हो, देख के तुझे ही रात की हवा ने
साँस थाम ली है हाथ की तरह
हाय, कि आँखों में तेरी रात की नदी
ये बाज़ी तो हारी है १०० फ़ीसदी

[instrumental*break]

[verse 3]
हो, उठ गए क़दम तो आँख झुक रही है
जैसे कोई गहरी बात हो यहाँ
हो, खो रहे हैं दोनों एक*दूसरे में
जैसे सर्दियों की शाम में धुआँ
[chorus]
हाय, ये पानी भी तेरा आईना हुआ
सितारों में तुझको है गिना हुआ
बिखरने का मुझको शौक़ है बड़ा
समेटेगा मुझको तू बता ज़रा, ज़रा

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