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lirik lagu khwaab mein – anuj singh

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बेकार सी, बातें वो करती है
खयाल अपने, ही बुनती रहे
कल की फ़िकर, फ़िकर ना कोई करती है
होश आज का भी, ना उसको रहे

बेवकूफियां भी थोड़ी करती है
हसीन खामियां भी उसकी लगती है
रोकूं दिल को मैं, साथ उसके ना रहे
नासमझ, फिर भी मुझसे ये कहे

पर होती जो पास में
होती जो साथ में
ऐसा लगे, मिल गया वो
देखा था जो, ख्वाब में

होती जो पास में
होती जो साथ में
ऐसा लगे, मिल गया वो
देखा था जो, ख्वाब में

ना बलखाये, ना शर्माए
बाल बिखरे उनको ना सवारे
गुज़ारे शामें, नंगे पाओं से
छू के लहरें सागर किनारे

उसमे जो नज़ाकत है
उसकी मुझको आदत है
बावरा दिल हुआ, प्यार हो गया ज़रा
सफ़र नया है मेरा दिल डरा

पर होती जो पास में
होती जो साथ में
ऐसा लगे, मिल गया वो
देखा था जो, ख्वाब में

होती जो पास में
होती जो साथ में
ऐसा लगे, मिल गया वो
देखा था जो, ख्वाब में

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