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lirik lagu bachpan – arjan singh

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मुझको है जाना वहाँ पर
थी ना कोई रसमें जहाँ पर
और था जहाँ नादान सा

वो बचपन के मासूम वादे
कुछ कच्चे*पक्के, कुछ आधे
पर ना थी फ़िकर और ना परवाह

वो ग़लती से ग़लती का करना
कहे रास्तों पे ना चलना
शरारत के माँझे से अपनी
खुशियों की पतंगे उड़ाना

नींदों के उस आसमाँ पर
अपने एक छोटे सपने को सजाना

मुझको है जाना वहाँ पर
मुझको है जाना वहाँ पर
मुझको है जाना वहाँ पर

तारों से आगे की दुनिया
पल भर में यूँ सोच लेना
कागज़ पे वो सपनों का जहाँ

किसी से भी कर लेना यारी
और बातें बताना फिर सारी
वो बेदाग सा रिश्तों का मकाँ

जब रातों को जागा करता था
और खिड़की से झाँका करता था
उस आसमाँ में कभी फिर
इक टूटा तारा जब दिखता था

तब आँख मूँदे मैं ख्वाहिशों के
ख्वाबों से पुल बाँधता था

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