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lirik lagu aangan – arjun tikadar & khwaab

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[arjun tikadar & khwaab “aangan” के बोल]

[verse 1]
आज़ाद हूँ मैं पर बेड़ी सी बंदी है
कि झूम ही ना पाऊँ, है कैसी यह सज़ा
पतझड़ के पत्ते, कहानी सी कहे हैं
कि एक दिन ढल जाए जवानी की सुबह

[pre*chorus]
ऐसे रिझाएं, वक्त की अदाएं
बोलती हैं क्या यह? बोलती हैं क्या?
बीती ही जाए, हाथ में ना आए
हाल तो बता क्या, कैसा हाल यह बता

[chorus]
मेरा आँगन बस चाहे भादो
अब तो मेरा आंगन बस चाहे भादो

[verse 2]
बैरी पिया सा, अब जीवन लागे रूठा
तो किस्मत के हाथों में छोड़ी है रज़ा
बचपन की मासूम हंसी का झरोका जो
तोड़ के थामी है ज़िम्मेदारियां

[pre*chorus]
जो भी फरमाए, ना मुझको भाए
छेड़खानियां, वो छेड़खानियां
भोली पेश आए, दांत ना दिखाए
ढूँढूँ बस निशान इसके, ढूँढूँ मैं निशान
[chorus]
मेरा आँगन बस चाहे भादो
अब तो मेरा आंगन बस चाहे भादो

[bridge]
[?]

[chorus]
मेरा आँगन बस चाहे भादो
अब तो मेरा आंगन बस चाहे भादो

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