
kabhi to khul ke baras - chitra singh lyrics
[intro]
कभी तो खुल के बरस अब्रे*ऐ*मेहेरबान की तरह
कभी तो खुल के बरस अब्रे*ऐ*मेहेरबान की तरह
[chorus]
मेरा वज़ूद है जलते हुए मकान की तरह
कभी तो खुल के बरस अब्रे*ऐ*मेहेरबान की तरह
[verse 1]
मैं एक ख्वाब सही आपकी अमानत हू
मैं एक ख्वाब सही आपकी अमानत हू
मुझे संभाल के रखिएगा जिस्म*ओ*जान की तरह
[chorus]
मेरा वज़ूद है जलते हुए मकान की तरह
कभी तो खुल के बरस अब्रे*ऐ*मेहेरबान की तरह
[verse 2]
कभी तो सोच के वो शख्स किस कदर था बुलंद
कभी तो सोच के वो शख्स किस कदर था बुलंद
जो बिच्छ गया तेरे कदमो मे आसमान की तरह
[chorus]
मेरा वज़ूद है जलते हुए मकान की तरह
कभी तो खुल के बरस अब्रे*ऐ*मेहेरबान की तरह
[verse ]
बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत
बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत
गुज़र ना जाए ये रुत भी कही खिज़ां की तरह
[chorus]
मेरा वज़ूद है जलते हुए मकान की तरह
कभी तो खुल के बरस अब के मेहेरबान की तरह
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