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lirik lagu dangal – khayek, the siege & aanshika

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[khayek, the siege & aanshika “dangal” के बोल]

[intro: aanshika]
let me tell you what the truth is
everybody is a monster
today we’re here to sing our truth

[chorus: aanshika]
met a boy in the forest
and my head is resting on his lap
do you even know, do you even know, who you are?

[verse 1: khayek]
पानी है गहरा तो गोता नहीं खाने का
लपटे हैं ऊंची तो पास नहीं जाने का
पखे परसा तो लटक नहीं जाने का
इमारत ऊंची है कूदने लगा हूं मैं
रास्ता बना के देख
रब से बना के देख
खुद को जला के देख
मरने नहीं जाने का
गुल्लक भी खाली है
खाली ये थाली है
मालिक भी जाली
पर पैसा नहीं खाने का
मशुका झूठी है
किस्मत ये फूटी है
महफिल ये लूटे ये दिल दीवाने का
खाते हैं गाली
ये काले हैं बादल
नकाब चेहरे पर वादा निभाने का
हंसता चलता पर मेरी तो किस्मत रोती जा रही (रोती जा रही)
हक का लड़ता, करता लफ़्डा तब तो रोटी आ रही (रोटी आ रही)
मैं तो महफिल में बैठा हूं यहां खुल्लम खुल्ला
गलती करदी हो तो मारदे तू मुझको आरी
जिसमें पैसा, वो है क्या दानी? (है क्या दानी?)
क्या समंदर में ठहरे पानी? (ठहरे पानी?)
बूढ़े लोगों का करदूं आदर (करदूं आदर)
पैसा बरसेगा जैसे ये टूटी छत से पानी (टपके पानी)
पत्थर दे मारा है सर पे
भागे वो लड़के
खूनी ये सड़कें
चरस है नाके पे बिकती, नरक से बत्तर यहां खुदा भी डर गए
मालिक के बेटे ने मालिक की बेटी को मारा यहां प्यार के छल से
नेता भी बोला तो पानी तो आना है पर यहां तो खून टपके नल से
[bridge: aanshika]
i’ve been walking on an empty road
and i see clear now
this world is a mirage
and i am just a bird

[verse 2: the siege]
भरोसा था एक उपर वाले पे
ये बादल है भरे बस वादों से
पर होती नहीं बारिश है सूखी ज़मीन
के चादर पे खून टपके नाले से
जिसका था खून, वो मेरे प्यारे थे
तो हर एक बूंद लगता निशाने पे
होता मजबूर, मैं अपनी आदत से
नफ़रत है होती इंसानों से
हम 2 कदम बढ़े तो खींचे 3
पर हम नहीं हैं डगडम बेटा 3
ये टूटे जो पुल हमारे चलांग
इन सांपों के हाथ नहीं आते चीन
ये काली कहानी ने सबको बना दिया लालची
तो हम यहां लेते हैं छीन के
के नरक में जलते हम नफ़रत में भीग के
कफ़न थे कबर में पर हम तो बीच थे
ये ज़िंदगी सीख ले
नहीं मिलती ठीक से (नहीं मिलती ठीक से)
यहां पे नहीं देता है कोई जगह
जाना पड़ता इसके बीच से
तो खोदना शुरू कर
मत कर भरोसा तू मां बाप और गुरु पर (गुरु पर)
नियम को तोड़ के जुर्म कर (जुर्म कर)
मिलते नहीं अंत में जो मिले थे शुरू पर
और अगर अब तक वो साथ है
तो करती वो पसंद ये पाप है
जब फेरे वो बालों पे हाथ
वो करती महसूस मेरे सर पे जो श्राप है
पर i think महफूज़ वो
इन गानों को बीज बैठे नवाब हैं
और जो भी हम बोलते हैं होता वही
जैसे ये काली ज़ुबान है
[chorus: aanshika]
met a boy in the forest
and my head is resting on his lap
do you even know, do you even know, who you are?

[outro: khayek]
पत्थर है बनना यहां बालक को (पत्थर है बनना यहां बालक को)
पत्थर है बनना यहां बालक को (पत्थर है बनना यहां बालक को)
पत्थर है बनना यहां बालक को (पत्थर है बनना यहां बालक को)
पत्थर है बनना यहां बालक को

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