lirik lagu do bheega zameen – killerktherapper
[verse 1]
सच्चाई कड़वी कितनी दबे लाश
मिट्टी में धाँसता है कीटनाश
कर के विनाश करते ये फ़ाश
किसान जिए १०० साल काश
भूक में आँसू टपकते भारी
मा बहन बेटी कि वो आस जारी
बरसात आरी पर धान खाली
खलियार खेत कि है राख काली
मेहनत पसीना मुश्किल है जीना
खाली पेट जहर को पीना
दस्तक दिलासा दिखाके आशा
सरकार झूटी बदलती भाषा
कितने पैगाम खितने निशान
घायल जमीन पे वो त्याग प्राण
सोना उगा भी नीचा इमान
सदियों से सड़ता आधा मुकाम
नेता है पहने १० लाख का suit
लोग gucci पहन के बने dude
पर जब करे ये सब्जी खरीद
तो चाहिए इनको ५९ कि छूट
ac में बैठ के ये दे दलील
fb पे ही ये मांगे appeal
आंखे खुली तो जरा गौर से देख
सूरज कि धूप से सूखी झील
बढ़त है rate दुनिया जो hate दे
खुदखुशी कि उसके ही खेत में
कितने पास (pass) कितने है laws
पर फिर भी लगता जिंदगी पे pause
ना मिलती मोज सिर पे है बोझ
२ वक़्त आराम करता है खोज
निकल दिवला घर पे जो ताला
नेता सियार छीने निवाला
[verse 2]
खाली से पेट में मेहनत वो कर के
फिर सारे जहां को राशन वो दे
खून पसीना बहाता जमीन पे
पर फिर भी उन हाथों को कुछ ना मिले
इंसाफ में आज लगाता वो दौड़
तो देते बहाना ये covid का दौर
सियासत कि कुर्सी कि जारी लड़ाई
फिर जीत के सबने कमरिया हिलाई
पर उसकी ही रूह बोले तू अब समाजा
दलाल ये जबरन निकाले जनाज़ा
फसल कि रंगत पे आई मुस्कान
पर द्वार पे भटका वो परेशान
मजबूर वो गरीबी में मजदूर
पाओं छिले किस्मत में शूल
भूक ने कर दिया उसको दूर
जिसके माथे पे था सिंदूर
[verse 3]
निकले जनाज़ा बस निंदा करें
कागजों में फिर ये जिंदा करें
चुनाव कि आज आवाज किसान
पर मेहनत कि रोटी २ मिल ना सके
तब भी करता इनायत तुम करते जो hate
भूका सोने दे ना भरता वो पेट
बस बढ़ते दुकानों में rate पे rate
और बैठा वो लेकर अपनी खाली जेब
हक कि मांग है उसका ऐलान
पर देते ये सारे उसे खालिस्थान
बस बातों में उलझाने का करते काम
और आज भी अन दाता है परेशान
सरकार के private का highway बनाते
फिर कितने किसान उसपे कुचले जाते
वो करते खरीद बनके मारीच
१० का वो २ में ही डंस के ले जाते
pm किसान सम्मान निधि का शोर
ना पहुंचा किसान के कान के ओर
बस बोल के शोर पे लगता अब जोर
पता नहीं उसका कब आएगा दौर
किसी board पे छपा agenda
सारे लोग करते propogenda
उसकी आवाज़ दबानी है
fake news चलानी है
छी छी छी छी news का plan
farmers son can’t be a gentleman
stars के १०० stan किसान no fan
तभी गर्मी है नोचे on his land
१ ला चालो से हो गई है बीड़ा
hitler के साशन में मिलती जो पीड़ा
जंतर*मंत्र पे वो मूत है पीरा
उस हीरे को काटे दलालों का कीड़ा
कृषि परधान है अपना सम्मान
फिर भी उसको देनी पड़ती लगान
बोले तो हलाल करते ये जुबान
हटाते मिटाते उसी का निशान
सरकारें सियासत कि रोटी पका रही
नोटों से वोटों को खाती वो जा रही
किसान जिंदगी चाहता था हसीन
but उसका बगीचा २ भीगा जमीन
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