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lirik lagu gardish-e-ayaam – killerktherapper

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[verse]

जिस वक्त कि दरकार थी
वो वक्त ही ठहर गया

आफताब सिर क्या चढ़ा
गर्दिश*ए*अयाम उस सहर पीछे पड़ गया

वो जवाज़ भी माजर्त मांगने लगे
कि इस मंजहर से उन्हे मिल जाए नजात
अगर फुरकतों कि अक्स उन पे पड़ गई
तो शायद आज उस मारासीम के साये कि होगी आखरी रात

कुछ दिलाब थे ऐसे जो बुझ कर भी ना बुझ पाए
दिल*ए*जान से वो कभी दूर ना हो जाए

उस मुक़द्दस को जन्मों*जन्मों तक मिले एहतीराम
इनायत है मेरी वो तारे कभी टूट ना जाए

हर उस हाथ को सलाम है
जिसने नब्ज थाम दे दी नई ज़िंदगी

हर उस जवान को सलाम
जो सरहदों पर रह कर टूटने ना दे अपनी बंदगी

उस दिल के लिए इबादतें
जो सब की करता इमदाद

बरसती रहे नूर उसकी ज़िंदगी पे
और चेहरे कि खिलती रहे शाद

[outro]

गर्दिश*ए*अयाम
करती फ़ना
पर हम वो तारे
कभी जो टूटे ना

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