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lirik lagu raah pe rahte hain – kishore kumar

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हो, राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं
खुश रहो अहल*ए*वतन, हो, हम तो सफ़र करते हैं
राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं
खुश रहो अहल*ए*वतन, हो, हम तो सफ़र करते हैं

हाँ, जल गए जो धूप में तो साया हो गए
जल गए जो धूप में तो साया हो गए
आसमाँ का कोई कोना, थोड़ा सो गए

जो गुज़र जाती है बस, हो, उस पे गुज़र करते हैं
राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं
खुश रहो अहल*ए*वतन, हो, हम तो सफ़र करते हैं

हो, उड़ते पैरों के तले जब बहती है ज़मीं
उड़ते पैरों के तले जब बहती है ज़मीं
मुड़ के हमने कोई मंज़िल देखी ही नहीं

रात*दिन राह पे हम, हो, शाम सहर करते हैं
राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं
खुश रहो अहल*ए*वतन, हो, हम तो सफ़र करते हैं

सा मा, सा मा, सा मा, सा मा
सा मा, सा मा, सा मा, सा मा
सा मा, सा मा, सा मा, सा मा

ऐसे उजड़े आशियाने, तिनके उड़ गए
हो, ऐसे उजड़े आशियाने, तिनके उड़ गए
बस्तियों तक आते*आते रस्ते मुड़ गए
हम ठहर जाएँ जहाँ, हो, उसको शहर करते हैं
राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं
खुश रहो अहल*ए*वतन, हो, हम तो सफ़र करते हैं

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