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lirik lagu ajib dastan hai yeh (from “dil apna aur preet parai”) – lata mangeshkar

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[intro: chorus]
अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौन सी, ना वो समझ सके, ना हम

[chorus]
अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौन सी, ना वो समझ सके, ना हम

[break]
आ आ आ आ आ आ आ

[verse 1]
ये रोशनी के साथ क्यूँ धुआँ उठा चिराग़ से?
ये रोशनी के साथ क्यूँ धुआँ उठा चिराग़ से?
ये ख़्वाब देखती हूँ मैं कि जग पड़ी हूँ ख़्वाब से

[chorus]
अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौन सी, ना वो समझ सके, ना हम

[break]
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ

[verse 2]
मुबारकें तुम्हें कि तुम किसी के नूर हो गए
मुबारकें तुम्हें कि तुम किसी के नूर हो गए
किसी के इतने पास हो कि सब से दूर हो गए
[chorus]
अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौन सी, ना वो समझ सके, ना हम

[instrumental*break]

[verse 3]
किसी का प्यार लेके तुम नया जहाँ बसाओगे
किसी का प्यार लेके तुम नया जहाँ बसाओगे
ये शाम जब भी आएगी, तुम हमको याद आओगे

[outro: chorus]
अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम
ये मंज़िलें हैं कौन सी, ना वो समझ सके, ना हम

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