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lirik lagu ramji ki nikli sawari – mohammed rafi

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हो..
सर पे मुकुट सजे मुख पे उजाला
मुख पे उजाला
हाथ में धनुष गले में पुष्प माला
हम दास इनके ये सबके स्वामी

अन्जान हम ये अन्तरयामी
शीश झुकाओ, राम गुन गाओ
बोलो जय विष्णु के अवतारी

राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी

राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी

एक तरफ़ लक्ष्मण एक तरफ़ सीता
बीच में जगत के पालनहारी

राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी न्यारी

राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी

धीरे चला रथ ओ रथ वाले
तोहे ख़बर क्या ओ भोले-भाले
तोहे ख़बर क्या ओ भोले-भाले

इक बार देखे जी ना भरेगा
सौ बार देखो फिर जी करेगा
व्याकुल पड़े हैं कबसे खड़े हैं
व्याकुल पड़े हैं कबसे खड़े हैं
दर्शन के प्यासे सब नर-नारी

राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी न्यारी

राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी

चौदह बरस का वनवास पाया
माता-पिता का वचन निभाया
माता-पिता का वचन निभाया

धोखे से हर ली रावण ने सीता
रावण को मारा लंका को जीता
रावण को मारा लंका को जीता

तब-तब ये आए
तब-तब ये आए
तब-तब ये आए
तब-तब ये आए

जब-जब ये दुनिया इनको पुकारी
राम जी की निकली सवारी
हो राम जी की लीला है न्यारी ही..ही

राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी

एक तरफ़ लक्ष्मण एक तरफ़ सीता
बीच में जगत के पालनहारी

(राम जी की निकली सवारी
राम जी की लीला है न्यारी) x 3

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