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lirik lagu dilae – punnet raga

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हो, माँ, हाँ, तुम में गिरे रे अमृत धार

ये गाथा तेरी जग जाने
(माँ, हाँ, तुम में गिरे रे अमृत धार)
(ये गाथा तेरी जग जाने)

जग जाने, ये गाथा जग जाने
(जग जाने, ये गाथा जग जाने)

हो, देवभूमि का हुआ है उद्धार
ये गाथा तेरी जग जाने
(माँ, हाँ, तुम में गिरे रे अमृत धार)
(ये गाथा तेरी जग जाने)

साधु-संतों के लगते हैं मेले
परव कुंभ में आते
(जी हाँ, परव कुंभ में आते)

हो, इनके दर्शन से प्राणी के पाप सभी कट जाते
(हाँ जी, पाप सभी कट जाते)

हो, भरते महाकुंभ हैं चार
नासिक, इलाहाबाद, हरिद्वार
(भरते महाकुंभ हैं चार)
(नासिक, इलाहाबाद, हरिद्वार)

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