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lirik lagu jag ghoomeya (from “sultan”) – rahat fateh ali khan

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ना वो अखियाँ रूहानी कहीं
ना वो चेहरा नूरानी कहीं
कहीं दिलवाली बातें भी ना
ना वो सजरी जवानी कहीं

जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई

ना तो हँसना रूमानी कहीं
ना तो ख़ुशबू सुहानी कहीं
ना तो रंगीली अदाएँ देखीं
ना तो प्यारी सी नादानी कहीं
जैसा तू है वैसा रहिणा

जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई

बारिशों के मौसमों की भीगी हरियाली तू
सर्दियों में गालों पे जो आती मेरे लाली तू
रातों का सुकूँ…
रातों का सुकूँ भी है, सुबह की अज़ान है
चाहतों की चादरों में करे रखवाली तू

कभी हक़ सारे रखता है
कभी समझे बेगानी कहीं
तू तो जाणता है मार के भी
मुझे आती है निभाणी कहीं
वो ही करना जो है कहिणा
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई

अपणे नसीबों में या हौसले की बातों में
सुखों और दुखों वाली सारी सौग़ातों में
संग तुझे रखणा है…
संग तुझे रखणा है, तेरे संग रहिणा
मेरी दुनिया में भी, मेरे जज़्बातों में

तेरी मिलती निशानी कहीं
जो है सबको दिखानी कहीं
मैं तो जाणती हूँ मर के भी
तुझे आती है निभानी कहीं
वो ही करना जो है कहिणा

जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई
जग घूमेया, थारे जैसा ना कोई

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