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lirik lagu dhundo mujhe – ramil ganjoo

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[“dhundo mujhe” के बोल]

[intro]
मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं
मुझे किसी इंसान से कोई शिकायत नहीं
मुझे शिकायत है समाज के उस ढाँचे से
जो इंसान से उसकी इंसानियत छीन लेता है
मतलब के लिए अपने भाई को बेगाना बनाता है
दोस्त को दुश्मन बनाता है
मुझे शिकायत है उस तहज़ीब से, उस संस्कृति से
जहाँ मुर्दों को पूजा जाता है
और ज़िंदा इंसान को पैरों तले रौंदा जाता है

[verse 1]
रात भर सोए नहीं, जागे से हैं
दिल के तालों पर जाले से पड़े क्यों हैं? जाले से पड़े क्यों हैं?
आँखों में छुपे हैं जो सारे
नींद से भरे वो गुब्बारे उड़ते क्यों नहीं? क्यों उड़ते वो नहीं?
रात भर सोए नहीं, जागे से हैं
दिल के तालों पर जाले से पड़े क्यों हैं? जाले से पड़े क्यों हैं?
आँखों में छुपे हैं जो सारे
नींद से भरे वो गुब्बारे उड़ते क्यों नहीं? क्यों उड़ते वो नहीं?

[pre*chorus]
पतझड़ क्यों ठहर गया? रातें क्यों सहम गईं?
हम ना जाने कब यूँ खो गए, क्यों खो गए?
[chorus]
ढूँढो मुझे, ढूँढो मुझे
ढूँढो मुझे, ढूँढो मुझे

[interlude/post*chorus]
जहाँ किसी के दुख*दर्द पे दो आँसू बहाना बुज़दिली समझा जाता है
झुक के मिलना कमज़ोरी समझा जाता है
ऐसे माहौल में मुझे कभी शांति नहीं मिलेगी, मीना

[verse 2]
दूर हैं ख्वाबों के वो मंज़र, ग़ैर हैं अपने भी क्यों अक्सर?
परछाई भी क्यों बेज़ार है यहाँ?
वक्त में बँटे हैं जो सारे, नींद से भरे वो गुब्बारे
उड़ते क्यों नहीं? क्यों उड़ते वो नहीं?

[pre*chorus]
पतझड़ क्यों ठहर गया? रातें क्यों सहम गई?
हम ना जाने कब यूँ खो गए, क्यों खो गए?

[chorus]
ढूँढो मुझे, ढूँढो मुझे
ढूँढो मुझे, ढूँढो मुझे

[outro]
(ढूँढो मुझे) रात भर सोए नहीं, जागे से हैं
दिल के तालों पर (ढूँढो मुझे), जाले से पड़े क्यों हैं?
जाले से पड़े क्यों हैं?
(ढूँढो मुझे) आँखों में छुपे हैं जो सारे
नींद से भरे वो गुब्बारे (ढूँढो मुझे) उड़ते क्यों नहीं?
क्यों उड़ते वो नहीं?

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