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lirik lagu bola ae vidhata kaahe bhaila kathor ho – rohit singh

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विधाता हो… विधाता हों…

कवाना गलतियां प , बजर कईला छतिया
की तोहरे ई चाह ह हमार दुर्गतिया ।
कवाना गलतियां प , बजर कईला छतिया
की तोहरे ई चाह ह हमार दुर्गतिया ।

काहे नाही देखतारा अंखियां के लोर हो
काहे नाही देखतारा अंखियां के लोर हो

बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो
बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो ।

मचल हाहाकार तोहरा सुनात नईखे शोर हो
बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो
बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो ।

रउई से आस बाटे, खोली अब अंखियां
अबहु से रोक लिही, हमरो बिपतीया ।
रउई से आस बाटे, खोली अब अंखियां
अबहु से रोक लिही, अईसन बिपतीया ।

सांस के डोरी अब त, भईल कमजोर हो
सांस के डोरी अब त, भईल कमजोर हो ।

बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो
बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो ।
विधाता हो… विधाता हों…

दुख में ना केहू बाटे हमरा संगतिया
लिखल कौन हाथे हमरो तू भगिया।
दुख में ना केहू बाटे हमरो संगतिया
लिखल कौन हाथे हमरो तू भगिया।

रात ई अनहरिया के होई कब भोर हो
रात ई अनहरिया के होई कब भोर हो ।
बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो
बोला ए विधाता काहे भईला कठोर हो ।

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