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lirik lagu nakli tareefein – shrinidhi ghatate

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[गीतिकाव्य “नक़ली तारीफ़ें”]

[verse 1: shrinidhi ghatate]
ज़िंदगी है, ये मेरी जानलेवा
घूरता है, जहा मुझे हमेशा

[chorus: shrinidhi ghatate]
जो दिखे वो नहीं है
जो सच है वो छुपा है
पपरों में जो पढू
वो सच नहीं अजूबा है
(ae…ae…ae)

[verse 2: shrinidhi ghatate]
सच कहने की हिम्मत ना किसीमे
जो कहता है उससे रूठती ये दुनिया
झूट में ही जीतें नक़ली तारीफ़ें करते
अब क्या करेंगे ऐसी ही दुनिया हमारी
(hee…ee….eeee)
(han…..um…voh….oh)

[verse 3: shrinidhi ghatate]
ग़मों में मुस्कुराके, मैं चली आगे
अकेले ही जीना है, समझ लिया मैंने
पहले जो सोचा था, कुछ और ही मिला है
ऊपरी है ये दुनिया, अब मैंने जान लिया है
(eh…eh)
ज़िंदगी है, अजूबा है ये ज़िंदगी
(eh…ee…ee…eh)
[verse 4: shrinidhi ghatate]
मुझमें ही है वो रौशनी
जो मैं अँधेरों में ढूँढती
पर एक साया देता मेरा साथ
उन गलियों में जो सुनसान थी

[chorus: shrinidhi ghatate]
जो दिखे वो नहीं है
जो सच है वो छुपा है
पपरों में जो पढू
वो सच नहीं अजूबा है
(eh…eh)

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