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lirik lagu kalam – shuddh

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(shuddh)

मैं आया हूं वहां से
जहां सपनो की कमी नही
सपनो में भरी गर्दिश
आंखों में नमी नही है
खून मैं है गर्मी
आवाज़ तभी दबी नही है
अवाम अभी जगी नही है
लगाम मुझपर लगी नही है
सच तो ये है की
कभी इनसे बनी नही
लिखावट मेरी real
असलियत इन जमी नही है
सुनना नही चाहते ये
गवाही इन्हें पची नही
ज़हर है कविताएं मेरी
तबाही अभी मची नही
तुझसे नही
मुझे मौत से मोहब्बत है
तेरी इश्क़ की ज़रूरत नही
लिखावट ही इबादत है
इज़ाज़त है लिखने की
अफ़साने ज़ुबानी मेरी
कलम और रूहानी
मेरी ये शहादत है
भूल गये मायने हम ज़िन्दगी के
किस काम के कायदे वो बन्दगी के
दुआ मेरी खुश रहे अवाम ये

(young h)

जब कलम उठती हाथ से
कागज भी बोले भाई आराम से
कितने मुझे खींचने वाले आये और गए
फ़ोकट का खाना खाके बोले फिर bye
अकेला मैं पर why i should i cry (yeah)
life is not easy for any of us
its all about loyality and trust (yeah)
भूलना ना कभी अपना तुम फ़र्ज़
यही मेरी सारी, आवाम से है अर्ज़
सर्कल मेरा हर दिन हो रहा छोटा
shift delete होता वो बंदा जो होता खोटा
इंसान परखने हमेशा खाता हूँ मात
पर करता ना मैं कोई समझौता
जो भी सुनते मुझे वो है मेरी फैमिली
like dislike से ना पड़ता कोई फर्क कभी
दूर ही ठीक बस, कहना तुमको अजनबी
अगर पास होगये तो हो जाओगे मतलबी

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