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lirik lagu dhan joban aur kaya nagar ki – vidhi deshwal

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धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोड़।।
धन जोबन और काया नगर की,

कोई मत करो रे मरोड़।।

क्यूं चले से आंगा पांगा,
क्यूं चले से आंगा पांगा,
चिता बीच तान्ने धरदेंगे नंगा,
चिता बीच तान्ने धरदेंगे नंगा,
एक अग्नि का लेके पतंगा तेरे फिर जांगे चारो ओर,
धन जोबन और काया नगर की, कोई मत करो रे मरोड़।।

सिरहाने खड़ी तेरी माई रोवे,
सिरहाने खड़ी तेरी माई रोवे,
भुजा पकड़ तेरा भाई रोवे,
भुजा पकड़ तेरा भाई रोवे,
पाया खड़ी तेरी भयायी रोवे रे जिसने लाया बांधके मोर,
धन जोबन और काया नगर की, कोई मत करो रे मरोड़।।

पाँच सात तेरे चलेंगे साथ में,
पाँच सात तेरे चलेंगे साथ में,
गौसा पूला लेके हाथ में,
गौसा पूला लेके हाथ में,
एक पिंजरी का ले बाँस हाथ मे तेरे देंगे सर ने फोड़,
धन जोबन और काया नगर की, कोई मत करो रे मरोड़।।

शंकर दास ब्राह्मण गावे,
शंकर दास ब्राह्मण गावे,
सब गुणियों को शीश झुकावे,
सब गुणियों को शीश झुकावे,
अपना गाम जखोली बतावे वो तो गया रे मुलजातो
धन जोबन और काया नगर की, कोई मत करो रे मरोड़।।
धन जोबन और काया नगर की, कोई मत करो रे मरोड़।।

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