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lirik lagu aaila nachaniya ke maar khake – vijay patel, shivani singh

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काहे देखतारु हमके घूर घूर के
बोलतारु हमरा से मन तुड़ के

अभीयो आपन रहन सुधार नात
मर जाईब जहर खाके ख़ाके ख़ाके
लागे अइला ए बलमुआ तू नचनिया से मार ख़ाके

अंतरा 1

कईसे गलियां भईल बावे
दुनु तोहर लाल हो
सुनले रहुवी कइले रहुव
नाच मे तू बवाल हो

रात हमरो संघतीया भेंटा गऊव सन
ऊ त हसी मजाक में अझुरा गऊव सन

इहे करे के रहे काहे के लइल हमरा के तू भगाके भगाके भगाके
लागे अइला ए बलमुआ तू नचनिया से मार ख़ाके

अंतरा 2

कहे मे तोहके पति अब त लागता सरम हो
बसिया खाना जा तार खाए
घर के छोड़ी के गरम हो
रानी हमरा से काहे खिसियात बाडु
छोड़ी हमरा के नईहर जात बा बाडु

अज्जु अंजान विजय राखेल हमके सारी रतिया जगाके जगाके जगाके जगाके
लागे अइला ए बलमुआ तू नचनिया से मार ख़ाके

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